रामपुरी चाकू से फिर चमकने लगा रामपुर, तालीम की पहचान को झटका
1. गिनीज रिकॉर्ड में दर्ज होगा नाम, लेकिन चाकू से बदली दिशा
Rampur News : कभी ‘तालीम की नगरी’ बनने की कोशिश करता रामपुर शहर अब एक बार फिर अपनी पारंपरिक पहचान रामपुरी चाकू की ओर लौट चुका है। यह वही चाकू है, जो कभी 70 के दशक की फिल्मों में एक खतरनाक स्टाइल स्टेटमेंट हुआ करता था। वक्त के साथ यह पहचान धुंधली पड़ी, लेकिन अब यह ग्लोबल लेवल पर सुर्खियां बटोर रहा है। रामपुर में कुछ समय पहले ही चाकू स्थापित किया गया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा रामपुरी चाकू है, जल्द गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होने जा रहा है। रामपुर को नवाबों की तालीमगाह (शिक्षण क्षेत्र) और सांस्कृतिक पहचान देने की कोशिशें लंबे समय से होती रही हैं। सपा के वरिष्ठ नेता मुहम्मद आजम खां ने अपने राजनीतिक कार्यकाल के दौरान रामपुर को शिक्षा के केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए थे।
मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना
रामपुर में रज़ा डिग्री कॉलेज पहले से ही स्थापित था। मगर, वर्ष 2006 में मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की नींव रखी। इसको वर्ष 2012 में अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का दर्जा दिया गया। इस यूनिवर्सिटी में एक दौर में हजारों छात्र पढ़ते थे, और यहाँ सपा संस्थापक एवं पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जैसे बड़े नेता भी पहुंचे थे। मगर, जैसे ही सरकार बदली। इसके बाद विश्वविद्यालय (यूनिवर्सिटी) विवादों में घिर गई। जमीनों पर सरकारी कार्रवाई हुई, और अब यह संस्था बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी है।
चाकू से बदली दिशा, गिनीज रिकॉर्ड में होगा दर्ज
रामपुर की पारंपरिक पहचान रामपुरी चाकू फिर से शहर को चर्चा में ला रही है। इस चाकू को अब विश्व रिकॉर्ड में शामिल किया जा रहा है, जो कि स्थानीय कारीगरों और शिल्पियों के लिए गौरव की बात भी है। इसको रामपुर के जौहर चौक में 20 फीट (6.10 मीटर) ऊंचाई पर लगाया गया है। इसका वजन साढ़े आठ क्विंटल है, जिस पर 52.52 लाख रूपये खर्च आया है। यह ब्रास और स्टील की सामग्री से बनाया गया। यह मॉडल बरेली के झुमका चौराहा की तर्ज पर विकसित किया है। जिसने बरेली को सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में नई पहचान दी थी। रामपुर का यह चाकू अब दुनिया की नजरों में आएगा।
सीएम का बयान और कटाक्ष
रामपुर दौरे पर पहुंचे सीएम में कुछ समय पहले रामपुरी चाकू को लेकर सपा और सपा नेता आजम खां पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि "रामपुरी चाकू से पहले गुंडई होती थी, लेकिन आज यही रोजगार दे रहा है।"
सपा नेता आजम खां ने भी किया था पलटवार, बोले, 'हमने कलम दी, आपने चाकू थमा दिया'
सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां ने मुख्यमंत्री के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि"हमने कलम दी थी, लेकिन आपने एक बार फिर चाकू थमा दिया। बस यही फर्क है हमारी और आपकी सोच में।" उनकी यह टिप्पणी तालीम बनाम ताकत की बहस को और गहरा कर गई। इसके बाद रामपुर की दो राहें तालीम बनाम परंपरा हो गई थी।
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